अध्ययन में दावा -लॉकडाउन से कोरोना को हराने में सफल हो सकता है भारत

 नई दिल्ली
लॉकडाउन
भले ही देश में घोषित राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की कई लोग आलोचना कर रहे हों, लेकिन एक नए अध्ययन में दावा किया गया है कि 21 दिन के इस लॉकडाउन की बदौलत भारत कोरोना वायरस महामारी को हराने में सफल हो सकता है। उत्तर प्रदेश की शिव नादर यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों का कहना है कि इससे भारत में लॉकडाउन के 20वें दिन कोरोना वायरस के लक्षण वाले लोगों की संभावित संख्या पहले दिन के मुकाबले 83 फीसदी तक कम हो सकती है।

यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अपने शोध में एक आशावादी परिदृश्य महसूस किया है, जिसमें कोरोना वायरस के लक्षण दिखने के एक से दो दिन के अंदर मरीज को क्वारंटीन कर दिया जा रहा है। शोध टीम से जुड़े एसोसिएट प्रोफेसर समित भट्टाचार्य ने कहा, हमारा यह भी मानना है कि देश की 80 से 90 फीसदी जनसंख्या सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रही है। इस आशावादी परिदृश्य में हम पहले दिन के मुकाबले लॉकडाउन के 20वें दिन संभावित आंकड़ों में 83 फीसदी की कमी का आकलन कर रहे हैं।

शोधकर्ताओं का यह भी मानना है कि सरकार की तरफ से 24 मार्च को घोषित किए गए लॉकडाउन के चलते संक्रमण का फैलाव धीमा हुआ है और इससे ग्राफ पर कोविड-19 कर्व ‘समानांतर’ हो सकता है यानी रोजाना मिलने वाले नए संक्रमण और ठीक होने वाले मरीजों की संख्या लगभग बराबर हो सकती है।

उनका कहना है कि कर्व के समानांतर होने से दिन बढ़ने के साथ नए मामलों की संख्या कम होती जाएगी और स्वास्थ्य सेवा तंत्र पर दबाव कम होता जाएगा। हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि अगले दो या तीन महीने तक समानांतर कर्व बनाए रखना बेहद मुश्किल काम है।

कोताही बरती गई तो  संक्रमण  के तीसरे चरण में पहुंच सकता है भारत

हालांकि शोधकर्ताओं का यह भी मानना है कि लॉकडाउन के दौरान भारत वायरस संक्रमण के दूसरे चरण में चल रहा था और अभी तक सामुदायिक प्रसार के कोई सबूत नहीं मिले हैं। इसके बावजूद देश तीसरे चरण में थोड़ा सा फिसल चुका है।

एसोसिएट प्रोफेसर नगा सुरेश वीरापू यह भी चेतावनी देते हैं कि यदि रोकथाम में कोताही बरती गई तो लॉकडाउन लागू होने से 40वें दिन संक्रमित मरीजों की अनुमानित संख्या 2,70,360 हो सकती है, जबकि 5407 लोग अपनी जान गंवा सकते हैं।

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