सामूहिक आत्महत्या मामले में कोर्ट ने पूर्व डीआईजी, डीएसपी समेत छह लोगों को दोषी करार दिया

अमृतसर
सांकेतिक तस्वीर।
चौकमुनी इलाके में परिवार के पांच लोगों द्वारा की गई सामूहिक आत्महत्या के मामले में तत्कालीन एसएसपी अमृतसर व डीआईजी पद से रिटायर हुए कुलतार सिंह, डीएसपी हरदेव सिंह समेत छह लोगों को कोर्ट ने दोषी करार दिया है। सेशन जज संदीप सिंह बाजवा की अदालत सभी दोषियों को 19 फरवरी को सजा सुनाएगी। अदालत के इस आदेश के बाद सभी दोषियों को पुलिस ने कड़ी सुरक्षा में अमृतसर की केंद्रीय जेल में भेज दिया है।

अक्टूबर 2005 में एक व्यक्ति ने पत्नी, बेटे, बेटी और मां के साथ आत्महत्या कर ली थी। व्यक्ति ने आत्महत्या का कारण घर की दीवारों पर लिखा था। उन्होंने इस आत्महत्या के पीछे एसएसपी कुलतार सिंह सहित अपने चार रिश्तेदारों सबरीन, परमिंदर कौर, मोहिंदर व पलविंदरपाल सिंह को आरोपी बताया था।

थाना कोतवाली में तत्कालीन इंस्पेक्टर व इस समय डीएसपी पद पर तैनात हरदेव सिंह पर आरोप था कि उसने कुलतार के आदेश पर आत्महत्या के सुबूत नष्ट करने के लिए दीवारों को साफ करवाने की साजिश रची थी। इस सामूहिक आत्महत्या कांड के बाद जांच बैठाई गई थी। जस्टिस (रिटायर्ड) अजित सिंह की ओर से संचालित पंजाब मानव अधिकार संगठन ने इस केस को अपने हाथ में लेकर अंजाम तक पहुंचाया।

पत्नी से हुए दुष्कर्म के बाद किया था सामूहिक आत्महत्या का फैसला

अपने परिवार के साथ आत्महत्या करने वाले व्यक्ति पर आरोप था कि उसने अपने पिता की हत्या कर दी है। आरोप था कि व्यक्ति ने पिता की लाश नहर में फेंक दी है। इस बात की भनक व्यक्ति के साथ रहने वाले रिश्तेदारों को लग गई। पुलिस को नहर के नजदीक से शव बरामद हुआ। उसकी शिनाख्त उसके के पिता के रूप में हुई।

जब उससे पूछताछ की गई तो उसने हत्या की बात कबूल ली। इस मामले में एसएसपी ने आरोपी को ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया। आरोप है कि आरोपी व्यक्ति से 10 लाख की राशि वसूली गई। आरोपी व्यक्ति एक बार अपनी पत्नी को एसएसपी दफ्तर लेकर गया ताकि दस लाख की राशि देने के बाद मामला रफादफा करने की बात की जाए।

उस व्यक्ति का आरोप था कि उस दिन एसएसपी ने उसे बाहर भेज दिया और दफ्तर में उसकी पत्नी से दुष्कर्म किया। उसने अपने पति को इस वारदात की जानकरी दी। इससे आहत होकर उसने परिवार के साथ आत्महत्या करने का निर्णय किया।

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