लखनऊ
समिति के सदस्यों के मुताबिक प्रदर्शन में बच्चों को लेकर शामिल होने वाले अभिभावकों के खिलाफ धारा 75 के तहत कार्रवाई की जाएगी। इसमें तीन साल की सजा व एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है।न्यायालय बाल कल्याण समिति लखनऊ के अध्यक्ष कुलदीप रंजन के नेतृत्व वाली कमेटी ने बुधवार शाम को घंटाघर पर प्रदर्शन करने वाली महिलाओं को नोटिस जारी किया है। कमेटी के सदस्य डॉ. संगीता शर्मा, सुधारानी, ऋचा खन्ना, विनय कुमार श्रीवास्तव ने नोटिस पर दस्तखत किए हैं।
समिति के मुताबिक किशोर न्याय (बालकों की देखरेख व संरक्षण) अधिनियम-2005 की धारा 3 (4) के अनुसार बालक या बालिकाओं के सर्वोत्तम हित के दृष्टिगत बाल कल्याण समिति को कार्य करना है। ताकि बच्चों का बचपन, उनकी शिक्षा व स्वास्थ्य का ध्यान रखा जा सके।समिति ने सर्वसम्मति से आदेश दिया कि सभी ऐसे परिवार जो अपने बच्चों को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं, वे तत्काल बच्चों को घर भेज दें, ताकि उनकी सामान्य दिनचर्या दोबारा शुरू हो सके।
कई बच्चे अपना विद्यालय छोड़कर धरना स्थल पर हैं। उनके सही समय से खाना आदि व खेल का इंतजाम भी बिगड़ गया है। बच्चों के सर्वोत्तम हित व उनकी मानसिकता पर दुष्प्रभाव न पड़े। इसलिए बच्चों को तत्काल धरना स्थल से हटाया जाए। यदि नोटिस के बाद भी ऐसा नहीं किया गया तो जिम्मेदार अभिभावकों के खिलाफ किशोर न्याय अधिनियम की धारा 75 के तहत कार्रवाई की जाएगी।कड़ी सजा का है प्रावधान
समिति की सदस्य डॉ. संगीता शर्मा के मुताबिक किशोर न्याय अधिनियम की धारा 75 के तहत प्रदर्शन में शामिल होने वाले बच्चों के अभिभावकों के खिलाफ सजा के कड़े प्रावधान हैं। इस धारा के तहत उनके खिलाफ कार्रवाई की जाती है जो बच्चों को अनावश्यक मानसिक व शारीरिक कष्ट देते हैं। ऐसे लोगों को तीन साल की जेल हो सकती है।जेल न जाने की दशा में एक लाख रुपये जुर्माना या दोनों सजा एक साथ दी जा सकती है। वहीं अगर इस तरह की प्रताड़ना से बच्चा शारीरिक रूप से अक्षम हो जाता है या उसे मानसिक रोग हो जाता है तो इसके लिए जिम्मेदार के खिलाफ तीन साल की सजा की जगह 10 साल तक की सजा हो सकती है। जुर्माने की राशि भी पांच लाख तक हो जाएगी।