- सुप्रीम कोर्ट ने कहा, सेवानिवृत्ति और स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति में फर्क, दोनों एक समान लाभ के हकदार नहीं
- शीर्ष कोर्ट ने बदला हाईकोर्ट का फैसला, कहा- अतिरिक्त लाभ और सुविधा की मांग दुर्भाग्यपूर्ण और बेजा है
- उच्चतम न्यायालय ने यह टिप्पणी आईएफसीआई से स्वैच्छिक सेवानिृवत्ति लेने वाले कर्मचारियों के मामले में की
शीर्ष कोर्ट ने कहा, जब कर्मचारी मर्जी से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेते हैं तो वे नियोक्ता से संबंध खत्म करते हैं न कि उनका कार्यकाल पूरा होता है। फैसला वे पूरे होशो-हवास में लेते हैं न कि उन पर यह थोपा जाता है।
उन्हें स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के नफे-नुकसान का भलीभांति पता होता है। कोर्ट ने यह टिप्पणी आईएफसीआई से स्वैच्छिक सेवानिृवत्ति लेने वाले कर्मचारियों के मामले में की है। कोर्ट ने कहा, वीआरएस, आर्थिक पैकेज है और पेंशन उसका हिस्सा है। इसके साथ ही कोर्ट ने आईएफसीआई के हक में फैसला सुनाते हुए वीआरएस लेने वाले कर्मचारियों को अन्य लाभ देने से इनकार कर दिया।
शीर्ष कोर्ट ने बदला हाईकोर्ट का फैसला
इन लोगों ने इस आदेश को हाईकोर्ट की खंडपीठ में चुनौती दी, जहां जनवरी, 2019 में फैसला उनके हक में आया। इस फैसले को आईएफसीआई ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने आईएफसीआई की अपील स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट के फैसले को दरकिनार कर दिया।