महिलाओं पर स्वाइन फ्लू का ज्यादा वार, ज्यादा पीड़ित शहरी क्षेत्र में

मेरठ
स्वाइन फ्लू
मेडिकल कॉलेज की माइक्रोबायोलॉजी लैब में जांच कराने वाले हर चौथे मरीज को स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई है। यह खुलासा लैब की इस साल की सितंबर माह तक की रिपोर्ट में हुआ है। इस साल अब तक 2016 सैंपलों की जांच में 603 लोग स्वाइन फ्लू के मिले हैं। इनमें महिला मरीजों की संख्या 55 प्रतिशत है। इनमें सात मरीजों की मौत हुई है।

स्वाइन फ्लू के मरीजों में मेरठ के 397 मरीज हैं, जबकि 206 मरीज गाजियाबाद, बुलंदशहर, हापुड़, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, शामली, मुरादाबाद, अमरोहा, बागपत, बिजनौर आदि जिलों के हैं। अधिकांश मरीज शहरी क्षेत्र के हैं, जिनकी संख्या करीब 67 प्रतिशत है। इनमें महिलाओं का प्रतिशत 55 और पुरुषों का 45 है।

महिला वर्ग में बच्ची और किशोरी भी शामिल हैं। गौरतलब है कि साल 2018 में स्वाइन फ्लू के 24 मरीज मिले थे। जबकि वर्ष 2017 में स्वाइन फ्लू के मेरठ में 395 मरीज मिले थे। इनमें 21 लोगों की मौत हो गई थी।

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएं
फिजिशियन डॉ. तनुराज सिरोही ने बताया कि जिन मरीजों की रोग प्रतिरोधक क्षमता ठीक है, वे जल्दी स्वाइन फ्लू या वायरल बुखार पर काबू पा रहे हैं, जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम है या वे किसी अन्य बीमारी से भी पीड़ित हैं, उन्हें काफी परेशानी हो रही है। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए मौसमी फल, हरी सब्जियां खाएं, जबकि फास्ट फूड, गरिष्ठ और बासी भोजन से बचें। गले में खराश हो तो सादा या गुनगुना पानी पिएं। सुबह जल्दी उठें। रात में जल्दी सोएं। हल्की-फुल्की एक्सरसाइज करें।

स्वाइन फ्लू मरीजों की मौत छुपा रहा स्वास्थ्य विभाग
स्वाइन फ्लू से मरीजों की मौत को स्वास्थ्य विभाग छुपाने की कोशिश कर रहा है। जागृति विहार मेरठ निवासी राजवीरी (73) की 24 सितंबर को नोएडा के फोर्टिस अस्पताल में मौत हो गई थी। लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने दबा लिया। मंगलवार को स्वाइन फ्लू पीड़ित वृद्धा के पति देवेंद्र सिंह (77) की मौत हुई तो परिजनों ने वृद्धा की मौत के बारे में बताया।

देवेंद्र सिंह का भी फोर्टिस अस्पताल में इलाज चल रहा था। दरअसल, स्वाइन फ्लू या डेंगू से मरीज की मौत होने पर स्वास्थ्य विभाग की काफी फजीहत होती है। इस फजीहत से बचने के लिए स्वास्थ्य विभाग मरीजों की मौत की जानकारी छुपाने की नाकाम कोशिश करता है।

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