सोमवार को सीबीआई के वकील वाईजे दस्तूर ने सोमवार को कुमार की जमानत का विरोध करते हुए न्यायमूर्ति एस मुंशी और एस दासगुप्ता की खंडपीठ के समक्ष अपनी दलीलें पूरी कीं। इससे पहले गुरुवार को ही कुमार के वकीलों ने डिवीजन बेंच के समक्ष जमानत के पक्ष में अपनी दलीलें रख दिए थे।
25 सितंबर को कुमार के वकील के आग्रह पर सिर्फ मामले से जुड़े अधिवक्ताओं को ही अदालत से कैमरा कार्यवाही सुनवाई में मौजूदगी की अनुमति मिली थी। इससे पहले अलीपुर जिला और सत्र न्यायालय ने 21 सितंबर को कुमार की गिरफ्तारी याचिका को खारिज कर दिया था।
राजीव कुमार पर क्या हैं आरोप
एसआईटी के अध्यक्ष के तौर पर राजीव कुमार ने जम्मू-कश्मीर में शारदा प्रमुख सुदीप्त सेन और उनके सहयोगी देवयानी को गिरफ्तार किया था। आरोप है कि उन्होंने, उनके पास से मिली एक डायरी को गायब कर दिया था। इस डायरी में उन सभी नेताओं के नाम थे जिन्होंने चिटफंड कंपनी से रुपए लिए थे।
क्या है चिटफंड घोटाला
चिट फंड एक्ट-1982 के मुताबिक चिट फंड स्कीम का मतलब होता है कि कोई शख्स या लोगों का समूह एक साथ समझौता करे। इस समझौते में एक निश्चित रकम या कोई चीज एक तय वक्त पर किश्तों में जमा की जाए और तय वक्त पर उसकी नीलामी की जाए। जो फायदा हो बाकी लोगों में बांट दिया जाए। इसमें बोली लगाने वाले शख्स को पैसे लौटाने भी होते हैं।
नियम के मुताबिक ये स्कीम किसी संस्था या फिर व्यक्ति के जरिए आपसी संबंधियों या फिर दोस्तों के बीच चलाया जा सकता है लेकिन अब चिट फंड के स्थान पर सामूहिक सार्वजनिक जमा या सामूहिक निवेश योजनाएं चलाई जा रही हैं। इनका ढांचा इस तरह का होता है कि चिट फंड को सार्वजनिक जमा योजनाओं की तरह चलाया जाता है और कानून का इस्तेमाल घोटाला करने के लिए किया जाता है।