विधानसभा के मानसून सत्र में दूसरे दिन भी हंगामा, विपक्ष ने किया वाकआउट

शिमला
ruckus in Himachal Assembly on second day of monsoon session and Opposition walkedout
हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के दूसरे दिन भी सदन में हंगामा हुआ और विपक्ष ने वाकआउट कर दिया। ऊना के कांग्रेस विधायक से जुडे़ शराब प्रकरण पर सदन में प्रश्नकाल शुरू होने से पहले ही विपक्ष के सदस्य शोर-शराबा करते रहे। विपक्षी कांग्रेस ऊना के एसपी की बर्खास्तगी और तबादले की मांग करती रही।

सीएम ने जांच के पूरा होने से पहले तबादले से इंकार किया तो नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री के नेतृत्व में कांग्रेस विधायक नारेबाजी करते हुए वेल में चले गए। पहले खडे़ होकर नारेबाजी करते। बाद में चौकड़ी मारकर नीचे बैठ गए। प्रश्नकाल के खत्म होते ही विपक्ष के सदस्यों ने वाकआउट कर दिया। माकपा विधायक राकेश सिंघा ने भी कांग्रेस विधायकों के साथ वेल में जाने के बाद वाकआउट किया।

मंगलवार को मानसून सत्र की दूसरी बैठक के शुरू में ही नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने हाथ खड़ा कर स्पीकर डा. राजीव बिंदल की ओर इशारा किया। मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि नियम – 67 के तहत उन्होंने आग्रह किया था कि जो ऊना का विधायक से संबंधित मसला है, उसके लिए काम रोको प्रस्ताव मंजूर किया जाए। सीएम ने सदन मेें वह पक्ष रखा है जो पुलिस ने कहा।कांग्रेस विधायक दल हर तरह के माफिया के खिलाफ है, मगर सीएम कह रहे हैं कि हम सब माफिया के हमदर्द हैं। इस बारे में स्पीकर के चैंबर में चर्चा हुई। लेकिन जो कुछ हो रहा है, वह एमएलए के इंस्टीट्यूट के खिलाफ  है।

एसपी ने एमएलए को ट्रैप करने की कोशिश की। स्टाफ  सदस्य को हथकड़ी तक लगाई गई। अग्निहोत्री ने एसपी पर ही माफिया को संरक्षण देने का आरोप लगाते हुए कहा कि इन्हें बर्खास्त किया जाए। उन्होंने इनके बारे में व्हाट्सऐप मैसेज भी भेजा है।

उन्होंने सीएम से अपने कहे शब्दों पर माफी मांगने को कहा। दूसरी ओर सीएम ने कहा कि रिकार्ड से स्पष्ट होता है कि उन्होंने कभी भी माफिया शब्द का सदस्यों के संबंध में इस्तेमाल नहीं किया। उन्होंने कहा था कि माफिया के संरक्षण में विधायक दल इस हद तक आ जाएगा।

यह सोचा तक नहीं था। विपक्ष की ओर से रखे गए पक्ष के बाद ही मामले की जांच सीआईडी के आईजी को देने का निर्णय हुआ है। बीच में सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर भी यह कहते हुए खड़े हुए कि उनके साथ भी 1997 में विधायक रहते दुर्व्यवहार हुआ था।

उस समय कांग्रेस सरकार थी। मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर के बयान पर भी विपक्ष के सदस्य हंगामा करते रहे। बीच में स्पीकर डा. राजीव बिंदल को लगातार हस्तक्षेप करना पड़ा।

यह हंगामा 11 बजकर 40 मिनट तक चलता रहा। इसके बाद प्रश्नकाल शोर-शराबे के बीच करीब 20 मिनट चला। प्रश्नकाल के खत्म होते ही विपक्ष के सदस्य सदन से बाहर वाकआउट कर गए।

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