करसोग (मंडी)। जिले में चिकित्सकों ने सरकारी आदेशों को ठेंगा दिखा दिया है। इसका बड़ा उदाहरण करोड़ों की लागत से निर्मित करसोग का सिविल अस्पताल है। यहां डॉक्टरों की कमी को दूर करने के लिए सरकार ने 25 जुलाई को चार डॉक्टरों को कार्यभार संभालने के आदेश जारी किए थे, लेकिन दो सप्ताह बीतने पर अभी तक एक भी डॉक्टर ने अपना कार्यभार नहीं संभाला है।
ऐसे में इस लापरवाही का खामियाजा क्षेत्र के लोगों को भुगतना पड़ रहा है। इतना ही नहीं, बल्कि डॉक्टरों की कमी के कारण मजबूरन लोगों को इलाज करवाने के लिए जिला स्तरीय अस्पताल मंडी और आईजीएमसी जाना पड़ रहा है। इससे लोगों का कीमती समय और पैसा दोनों बरबाद हो रहा है। बीएमओ करसोग डॉ. राकेश प्रताप का कहना है कि इस मामले को अब उच्चाधिकारियों के ध्यान में लाया जा रहा है। उन्होंने माना है कि सरकार ने 4 डॉक्टरों को तत्काल प्रभाव से कार्यभार संभालने के आदेश जारी किए थे।
डेढ़ सौ बिस्तरों का अस्पताल पांच डॉक्टरों के सहारे
करोड़ों से निर्मित अस्पताल में डेढ़ सौ बिस्तरों की सुविधा है। इसको देखते हुए सरकार ने करसोग अस्पताल के लिए 16 डॉक्टरों के पद स्वीकृत किए हैं लेकिन हैरानी की बात है कि इतने पद स्वीकृत होने के बावजूद अस्पताल में केवल छह डॉक्टर हैं। इसमें भी एक डॉक्टर मातृत्व अवकाश पर है। इस तरह वर्तमान में स्वास्थ्य व्यवस्था केवल 5 डॉक्टरों के सहारे है। क्षेत्र की जनता पिछले साल एक जुलाई को माहूंनाग में आयोजित जनमंच कार्यक्रम में स्वास्थ्य मंत्री विपिन सिंह परमार के सामने भी इस मामले को उठा चुकी है, लेकिन स्वास्थ्य मंत्री के आश्वासन के बाद भी डॉक्टरों की कमी को दूर नहीं किया गया है।