उन्होंने कहा था, ‘जब तुम पहली बार चुनाव लड़ोगे, तो तुम्हारे लिए प्रचार करने हिमाचल आऊंगी।’ सुषमा ने अपना वह वादा निभाया। सुषमा स्वराज 1993 में बरागटा के लिए प्रचार करने कोटखाई आई थीं।
बरागटा ने कहा – मेरे राजनीतिक जीवन में उनका अहम योगदान रहा है। उनका निधन देश और पार्टी के अलावा मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति है। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे।
बरागटा ने इस संबंध में सुषमा स्वराज के फोटो के साथ सोशल मीडिया पर पोस्ट भी डाली है। नरेंद्र बरागटा वर्तमान में हिमाचल सरकार के मुख्य सचेतक हैं।
सुषमा स्वराज ने धाटू और रेजटा पहनकर किया था प्रचार
उन्होंने बताया कि सुषमा ठियोग में विधानसभा चुनाव प्रचार की जनसभा में 2007 में आई थीं। उस वक्त भाजपा के प्रत्याशी दौलतराम वर्मा थे। सुषमा के साथ सतपाल जैन भी ठियोग आए थे। जनसभा से पहले सुषमा स्वराज ने ठियोग की महिलाओं की पारंपरिक वेशभूषा पहनी। उन्होंने महिलाओं द्वारा पहने जाने वाला धाटू पहना। धाटू में फूल छपे थे।
इसके अलावा उन्होंने रेजटा भी पहना, जो कोटगढ़ की महिलाओं की वेशभूषा है। उन्होंने ऊन की शॉल भी ओढ़ी। अजय श्याम ने बताया कि वह सुषमा स्वराज के दाईं ओर बैठे तो वह स्थानीय महिलाओं की दिनचर्या के बारे में पूछती रहीं। महिलाओं की जीवनशैली में खास दिलचस्पी लेती रहीं। श्याम के भाषण पर सुषमा ने उनकी पीठ थपथपाई। खुद सुषमा स्वराज ने करीब डेढ़ घंटे भाषण दिया। उन्होंने उपस्थित लोगों को खूब प्रभावित किया।