अब एक दिन में डेढ़ सौ टूरिस्ट ही जा पाएंगे गंगोत्री

one day 150 tourist can go in gangotri
गंगोत्री क्षेत्र में घूमने के लिए एक दिन में डेढ़ सौ से अधिक सैलानी नहीं जा पाएंगे। उनकी संख्या निश्चित कर दी गई है।
इससे गंगोत्री और गोमुख क्षेत्र के माइक्रो क्लाइमेट में आ रहे बदलावों के दुष्प्रभावों को नियंत्रित किया जा सकेगा और प्रदूषण भी कम होगा। भागीरथी इको सेंसिटिव जोन में 22 रूटों पर ट्रैकिंग मान्य की गई है। इको टूरिज्म की कार्ययोजना इन्हीं ट्रैक पर बनेगी। केंद्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की केंद्रीय विशेषज्ञ समिति ने इस पर मोहर लगा दी है।

गंगोत्री क्षेत्र के पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए भागीरथी इको सेंसिटिव जोन के जोनल मास्टर प्लान में भी यह व्यवस्था कर दी गई है। जोनल मास्टर प्लान शासन ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) और केंद्र सरकार को भेज दिया गया है।

इस क्षेत्र में इको टूरिज्म की कार्ययोजना तो बनेगी, लेकिन इसमें पर्यावरण, ग्लेशियर और प्राचीन धरोहरों के संरक्षण के मामले में कोई ढील नहीं दी जाएगी। सख्ती से यह पाबंदी लगा दी गई है कि धरोहर के चारों तरफ सौ मीटर के क्षेत्र में विकास संबंधी कोई गतिविधि नहीं होगी।

गो ग्रीन’ योजना लागू करने का सुझाव

gangotri

हाई फ्लड लाइन (एचएफएल) से 50 मीटर ऊपर का एरिया निर्माण गतिविधियों के लिए फ्री जोन घोषित कर दिया गया है। सैलानियों को सुविधाएं मुहैया कराने के लिए ‘गो ग्रीन’ योजना लागू करने का सुझाव दिया गया है।

इसमें सोलर एनर्जी का इस्तेमाल किया जाएगा। गंगोत्री ग्लेशियर को प्रदूषण से बचाने के लिए इसके मुहाने से होकर गुजरने वाले तपोवन मार्ग का विकल्प सुझाया गया है। भागीरथी पर पुल बनाकर भोजवासा से तपोवन मार्ग खोलने के लिए कहा गया है। भागीरथी पर पुल पहले से स्वीकृत है।

गंगोत्री क्षेत्र के पर्यावरण संरक्षण के लिए जोनल मास्टर प्लान में पूरी व्यवस्था कर दी गई है। इसके साथ ही संबंधित विभागों को कार्ययोजना पर अमल करने के लिए कहा गया है।
– जयराज, प्रमुख वन संरक्षक (परियोजनाएं)

गोमुख से होकर जाने वाले तपोवन मार्ग का भोजावास से बेहतर विकल्प रहेगा। भागीरथी पर पुल पहले से स्वीकृत है। यह बन जाए तो नया मार्ग चालू हो सकता है।
– डॉ. समीर तिवारी, गंगोत्री प्रभारी, वाडिया हिमालय भूगर्भ संस्थान

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