नियमों के फेर में फंसे बेरोजगार शास्त्री, जानिए क्यों?

  • नियमों के फेर में फंसे बेरोजगार शास्त्री, जानिए क्यों?
बिलासपुर: सरकारी नियमों व अफसरशाही की लापरवाही का नतीजा आम लोगों को बेहद महंगा पड़ता है। इसका ताजा उदाहरण वर्ष 2000 से पूर्व शास्त्री की उपाधि प्राप्त कर चुके प्रदेश के सैंकड़ों बेरोजगारों के साथ हो रही नाइंसाफी के रूप में सामने आया है, वहीं वर्ष 2000 से लेकर वर्ष 2009 के मध्य में शास्त्री की परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले अभ्यर्थी भी सरकारी नियमों में कमी होने के चलते परेशान हैं लेकिन उनकी तकलीफ वर्ष 2000 से पूर्व शास्त्री कर चुके बेरोजगारों से कुछ कम है।
दोहरे मापदंड न अपनाए सरकार
बिलासपुर के लक्ष्मी नारायण मंदिर में बेरोजगार शास्त्रियों ने अपनी बैठक की व सरकार से मांग की कि उनके साथ दोहरे मापदंड न अपनाए जाएं तथा उनकी बढ़ती आयु को देखकर तत्काल नियमों में संशोधन कर उन्हें राहत प्रदान की जाए। इस बैठक की अध्यक्षता आचार्य श्याम लाल गर्ग ने की। बैठक में महेंद्र पाल, हंस राज, सुरेंद्र शुक्ला, किरण देवी, अनीता कुमारी व लोक पाल सहित कई बेरोजगार शास्त्रियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई।
शर्तें पूरी करते-करते उम्र हुई 45!
हुआ यूं कि वर्ष 2009 में सरकार ने शास्त्री पद पर नौकरी पाने के लिए अभ्यर्थी द्वारा शास्त्री परीक्षा को 50 प्रतिशत अंकों के साथ उत्तीर्ण करने की शर्त लगा दी। यह शर्त वर्ष 2009 से पूर्व शास्त्री कर चुके बेरोजगारों पर भी लागू कर दी गई जिसका इन शास्त्री उपाधि प्राप्त बेरोजगारों ने विरोध किया। उनका कहना था कि यदि यह शर्त उनकी शास्त्री उपाधि लेने के समय लगी होती तो या तो वे लोग शास्त्री करते ही नहीं अन्यथा वे इस शर्त को ध्यान में रखते हुए पढ़ाई करते। अत: 9 वर्षों के बाद उन पर इस तरह की शर्त थोपना अन्याय है। बात सरकार तक पहुंची तो वर्ष 2009 में तत्कालीन प्रदेश सरकार ने वर्ष 2000 के बाद शास्त्री कर चुके अभ्यर्थियों को तो अपनी अंक प्रतिशतता सुधारने के लिए पुन: एक मौका दे दिया लेकिन वर्ष 2000 से पहले के शास्त्री उपाधि प्राप्त बेरोजगार तड़पते ही रहे।
इन बेरोजगारों को वर्ष 2014 में जाकर अपनी अंक प्रतिशतता सुधारने का मौका मिला तो 14 वर्ष से पढ़ाई छोड़ने के बावजूद भी इन अभ्यर्थियों ने जी तोड़ मेहनत की व अपनी अंक प्रतिशतता में सुधार तो कर लिया लेकिन लालफीताशाही के काम करने का तरीका तो देखिए इन अभ्यर्थियों की वरिष्ठता सूची वर्ष 2014 से विभाग ने बनाई है। हालांकि ये अभ्यर्थी वर्ष 2000 से पहले शास्त्री उपाधि प्राप्त कर चुके हैं। प्रदेश में ये सैंकड़ों शास्त्री बेरोजगार ऐसे हैं जिनकी आयु 42-43 तक हो चुकी है। यदि इनकी वरिष्ठता को यूं ही माना गया तो अगले 2 वर्षों तक तो इनको नौकरी मिलना असंभव है। बाद में 45 वर्ष की आयु पूरा कर लेने के बाद तो आर. एंड पी. रूल इन्हें नौकरी के अयोग्य बना देंगे।

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