श्रीनगर : जम्मू कश्मीर में सरकार गठन पर रविवार को अनिश्चितता उस वक्त बढ़ गई, जब सख्त लहजे में बात करते हुए पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा कि राज्य में ‘प्रमुख’ राजनीतिक और आर्थिक मुद्दों का हल करने के लिए केंद्र की भाजपा सरकार के ‘एक तय समयसीमा में’ ठोस कदम उठाए जा सकने की समीक्षा करने के बाद ही वह इस पर कोई फैसला करेंगी। मुख्यमंत्री पद पर अपने दिवंगत पिता की उत्तराधिकारी मानी जा रही महबूबा ने पार्टी नेताओं के साथ चार घंटे चली एक बैठक में कहा कि मुफ्ती सईद ने इस उम्मीद में भाजपा के साथ गठजोड़ करने का एक साहसिक पर अलोकप्रिय फैसला किया था कि केंद्र में नरेन्द्र मोदी जम्मू-कश्मीर और इसके लोगों से जुड़ी प्रमुख राजनीतिक एवं आर्थिक मुद्दों का हल करने के लिए निर्णायक उपाय करेंगे।
हालांकि, उन्होंने इस बात की आलोचना की कि राज्य और नई दिल्ली के कुछ हलकों ने जम्मू कश्मीर में शांति, स्थिरता और समृद्धि लाने के लिए साझेदारी करने तथा सईद की दूरदृष्टि को लागू करने की बजाए स्पष्ट या अस्पष्ट रूप से उन मुद्दों पर अक्सर विवाद को तूल दिया जिन्हें टाला जा सकता था। इससे राज्य सरकार की ऊर्जा नष्ट हुई। उन्होंने कहा कि आसपास एेसे उल्लंघनकारी परिस्थितियों में पार्टी को अब इसकी फिर से समीक्षा करनी होगी कि राज्य के लोगों के बीच सुलह की कोशिशों के दौरान अक्सर लगने वाले झटकों को हम सह पाएंगे या नहीं।
पीडीपी प्रमुख ने सोमवार को यहां विधायक दल की बहुप्रतीक्षित बैठक बुलाई है। उन्होंने कहा कि उनके दिवंगत पिता के नेतृत्व में 10 महीने चली गठबंधन सरकार राजनीतिक और आर्थिक कोशिशों पर बहुत कम गतिविधि ही कर सकी। उन्होंने कहा कि इसके बजाय शासन पर किए गए अच्छे कार्यों पर कुछ घटनाक्रमों का नकारात्मक असर पड़ा। उन्होंने कहा कि भारत सरकार को जम्मू कश्मीर में शांति एवं स्थिरता के हित में पीडीपी-भाजपा ‘गठजोड़ के एजेंडा’ को लागू करने की लिए ठोस उपाय करने होंगे तथा एक तय समय सीमा निर्धारित किए जाने की जरूरत है।
महबूबा ने रविवार बैठक में कहा कि वह तभी जाकर कोई फैसला करेंगी, जब भाजपा गठबंधन के उद्देश्य को इसके तार्किक निष्कर्ष तक ले जाने का उसे विश्वास दिलाएगी। यह गठबंधन मुफ्ती ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ किया था।