मंदिर परिसर में प्रवेश नहीं करेंगे बलि के पशु

ज्यूरी (रामपुर बुशहर)। नवरात्रों को लेकर सराहन के मां भीमाकाली मंदिर प्रशासन ने तैयारियां पूरी कर ली हैं। कोर्ट के फैसले के बाद मंदिर परिसर में इस बार बलि के लिए पशुओं का प्रवेश नहीं हो सकेगा। इससे पहले मंदिर परिसर में पशुओं को लाया जाता था, परंतु उनकी मंदिर परिसर में बलि नहीं दी जाती थी।
मां भीमाकाली मंदिर में नवरात्रों को लेकर मंदिर प्रबंधन और स्थानीय प्रशासन ने विशेष व्यवस्था की है, ताकि यहां आने वाले हजारों श्रद्धालुओं को पूजा अर्चना करने में किसी प्रकार की कोई परेशानी न हो। मंदिर में सुरक्षा व्यवस्था को कड़ा किया गया है। मंदिर परिसर में पुलिस और होमगार्ड के जवान तैनात रहेंगे। श्रद्धालुओं को मंदिर लाने वाले वाहनों की आवाजाही सुचारु रखने के लिए पुलिस को सख्त हिदायत दी गई है।
यह है इतिहास
माना जाता है कि मां भीमाकाली हजारों साल पहले ऋषि-मुनियों की रक्षा के लिए शोणितपुर (वर्तमान में सराहन) के राजा बाणासुर का वध करने आई थीं। बाणासुर राजा बलि के सौ पुत्रों में सबसे बड़ा था। इसने ऋषियों और मुनियों पर अत्याचार करने आरंभ कर दिए थे। इसके बाद मां भीमाकाली ने इस राक्षस का वध किया था। किन्नौर जिले के 18 देवता बाणासुर और हिडिंबा की संतान हैं। इस मंदिर में तीन प्रमुख मंदिर हैं। मंदिर परिसर में मां भीमाकाली के अलावा रघुनाथ जी, नरसिंह देवता और पाताल देवता लाकड़ावीर के मंदिर भी हैं। भीमाकाली के कोर शैली के दो भव्य पांच मंजिला मंदिर हैं।
मंदिर में नहीं करते लाइटों से सजावट
मां भीमाकाली के भव्य मंदिर को लाइटों से नहीं सजाया जाता। इसके पीछे प्रमुख कारण यही है कि कहीं मंदिर में बिजली की सजावट करने से शार्ट सर्किट न हो। मंदिर भवन में लकड़ी और पत्थर का प्रयोग किया गया है। मंदिर अधिकारी बालक राम नेगी ने बताया कि मंदिर परिसर की सुरक्षा को देखते हुए बिजली की लड़ियों की सजावट से परहेज किया जाता है।

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