2011 में भारत की जीत, जर्मनी की जीत का एक ‘नायक’

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आप जानते हैं कि 2011 में टीम इंडिया के वर्ल्ड कप जीतने और जर्मनी का वर्ल्ड कप फुटबॉल जीतने में एक अजीब सी समानता है। इस समानता को जानकार आप चौंक भी सकते हैं।

भारत ने 2011 में 28 साल के बाद वनडे क्रिकेट में वर्ल्ड चैंपियन बनने का अपना सपना पूरा किया। तो जर्मनी को फीफा वर्ल्ड कप जीतने के लिए 24 साल का इंतजार करना पड़ा और उनका इंतजार 2014 में ब्राजील में जाकर खत्म हुआ।

इस अनोखी समानता में नाम आता है माइक हॉर्न का। दक्षिण अफ्रीका में जन्मे 47साल के हॉर्न स्विस खोजी और एडवेंचर्स हैं और खिलाड़ियों के उत्साहवर्द्धन कराने का काम करते हैं।

भारत को बनाया वर्ल्ड चैंपियन

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2011 में जब टीम इंडिया वर्ल्ड कप खेलने के लिए तैयारियों में जुटी थी तो टीम के कोच गैरी कर्स्टन ने माइक हॉर्न से भारतीय खिलाड़ियों के लिए मोटिवेशनल कार्यक्रम आयोजित करने और उसमें भाग लेने का अनुरोध किया था।

इसके बाद हॉर्न ने कर्स्टन के अनुरोध को स्वीकार करते हुए टीम इंडिया के खिलाड़ियों के साथ वक्त बिताया और अपना प्रेरणादाई भाषण दिया।

शायद इसी का कमाल था कि भारत 28 साल के बाद फिर से वर्ल्ड चैंपियन बनने में कामयाब रहा। साथ ही मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर का सपना भी पूरा किया।

SA को बनाया टेस्ट में नंबर वन

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ऐसा नहीं है कि माइक हॉर्न ने सिर्फ टीम इंडिया के खिलाड़ियों का मार्गदर्शन किया हो।

2012 में वह दक्षिण अफ्रीका की टीम के साथ जुड़े। इस समय गैरी कर्स्टन अफ्रीकी टीम के कोच थे और यह उन्हीं का प्रयास था कि हॉर्न ने अफ्रीकी खिलाड़ियों की मदद की।

हॉर्न यहां भी कर्स्टन की उम्मीदों पर खरे उतरे और बाद में दक्षिण अफ्रीका टेस्ट में नंबर वन टीम बन गई। दक्षिण अफ्रीका की टीम इंग्लैंड को इंग्लैंड में ही हराकर टेस्ट की नंबर वन टीम बनी।

 

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