नई दिल्ली
खूब चला क्रॉस वोटिंग का खेल
कांग्रेस ने गैर भाजपा दलों व निर्दलीय पार्षदों को अपने साथ करने में कामयाबी ही नहीं हासिल की, बल्कि भाजपा के पार्षदों से अपने पक्ष में क्रॉस वोटिंग भी कराई।
दोनों नगर निगम में कांग्रेस ने अपने पार्षदों की संख्या से कहीं अधिक वोट प्राप्त किए। इतना ही नहीं, उसने दक्षिण नगर निगम के डिप्टी मेयर के चुनाव में भाजपा को हरा दिया।
कांग्रेस ने बीजेपी को दिया झटका
मेयर चुनाव में कांग्रेस के दो सांसदों के नहीं आने के बावजूद उसे 51 वोट मिले, जबकि भाजपा को 52 वोट ही मिले। इस तरह कांग्रेस ने 13 वोट अधिक हासिल किए, वहीं भाजपा को गठबंधन के पार्षदों की संख्या से तीन वोट कम मिले।
डिप्टी मेयर के चुनाव में तो कांग्रेस ने भाजपा की बुनियाद ही हिला दी। भाजपा समर्थित बसपा के उम्मीदवार को भाजपा के पार्षदों की संख्या से भी कम वोट मिले। इस चुनाव कांग्रेस ने अपने कोटे से 21 वोट ज्यादा प्राप्त किए। कांग्रेस को 105 में से 59 वोट हासिल किए।
बीजेपी के खिलाफ फूटा गुस्सा!
अब राजनीति के गलियारों में चर्चा आरंभ हो गई कि भाजपा के पार्षदों में अपने नेतृत्व के प्रति गहरा गुस्सा है। इसी कारण उन्होंने क्रॉस वोट किया। जबकि कुछ का कहना था कि यह जोड़ तोड़ का नतीजा है।
साथ ही सवाल उठने लगा कि अगर उनका यह गुस्सा लोकसभा चुनाव के दौरान भी रहा होगा तो भाजपा को भारी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। इसका खुलासा तो 16 मई को भी होगा।
आलाकमान से करेंगे शिकायत
सूत्रों के अनुसार कांग्रेस पार्षद दल के नेता फरहाद सूरी मेयर चुनाव में दो सांसदों के नहीं आने से हुई हार के संबंध में शिकायत करेंगे, जबकि भाजपा पार्षद दल के नेता सुभाष आर्य डिप्टी मेयर चुनाव में क्रॉस वोट करने वाले पार्षदों के बारे में आलाकमान को अवगत कराएंगे।
उन्होंने दावा किया है कि ऐसे पार्षदों के बारे में उनको पहले से ही मालूम था।
53 साल बाद दोहराया इतिहास
उधर, दक्षिण दिल्ली नगर निगम में विपक्ष के नेता फरहाद सूरी ने कहा कि नगर निगम में फैले भ्रष्टाचार से परेशान होकर भाजपा पार्षदों ने क्रॉस वोट किया। क्योंकि भाजपा नेता उनके कार्य कराने के बजाय भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने में लगे है।
उनका कहना है कि गैर भाजपा व अन्य पार्षदों ने सांप्रदायिक ताकतों को रोकने के लिए कांग्रेस का साथ दिया है।