याचिका खारिज, भंडारी को नहीं मिली बयान की कॉपी

शिमला

petition rejected, former DGP Bhandari did not get a copy of the statement

टेबल बगिंग केस में पूर्व डीजीपी आईडी भंडारी को एक और झटका लगा है। भंडारी को राज्य सरकार ऐसे कोई दस्तावेज नहीं देगी, जिनके आधार पर उन्हें चार्जशीट किया गया है।

भंडारी को चार्जशीट पर जवाब देने के लिए सोमवार 27 अप्रैल तक का समय दिया गया था, लेकिन उन्होंने हाईकोर्ट से याचिका खारिज होने के बाद ठीक एक दिन पहले पत्र भेजकर वे सभी दस्तावेज मांगे, जिनके आधार पर उनके खिलाफ केस तैयार किया जा रहा है।

सोमवार को ये आवेदन गृह विभाग ने खारिज कर दिया। उन्हें सूचना भेजी जा रही है कि सर्विस रूल्स में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।

हालांकि, गृह विभाग ने लिखा है कि यदि भंडारी चाहें तो आरटीआई में दस्तावेज ले सकते हैं। उन पर चार्जशीट में आरोप हैं कि उन्होंने सीआईडी मुखिया रहते हुए तत्कालीन डीजीपी डा. डीएस मन्हास के कहने पर तत्कालीन सांसद एवं केंद्रीय मंत्री वीरभद्र सिंह के चंडीगढ़ स्थित हिमाचल भवन के कमरे में टेबल बगिंग करवाई।

सीआईडी ने इन आरोपों की जांच के दौरान सीआईडी के एक इंस्पेक्टर के बयानों को आधार बनाया है। इंस्पेक्टर ने अपने बयान में भंडारी की भूमिका स्वीकार की है। हालांकि, ये बयान भंडारी को नहीं दिए गए। इसी बयान की प्रति भंडारी मांग रहे हैं।

डीएस मन्हास की फाइल दिल्ली भेजी
इसी केस में पूर्व डीजीपी डा. डीएस मन्हास को चार्जशीट करने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। चूंकि वह रिटायर हो चुके हैं, इसलिए उनके खिलाफ पेंशन रूल्स 9(2) के तहत मंजूरी भारत सरकार से आनी है। गृह विभाग ने इस बारे में फाइल दिल्ली भेज दी।

रिटायर आईएएस होंगे जांच अधिकारी
इस केस में जांच अधिकारी नियुक्त करने पर सोमवार को फैसला नहीं हो पाया। सूत्र कहते हैं कि अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) ने कुछ रिटायर आईएएस के नाम मांगे हैं। प्रजेंटिंग आफिसर के लिए भी फाइल पर कुछ नाम सुझाए गए हैं।

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