विकास का पैसा जा रहा पानी में

सोलन। शहर के विकास में खर्च किया जाने वाला पैसा आईपीएच विभाग के जेब में जा रहा है। नगर परिषद सोलन आईपीएच का करोड़ों रुपये का कर्जदार बन चुका है। प्रतिमाह करीब 40 से 45 लाख रुपये का देनदार बन रहा है। ऐसे में शहर के विकास के बारे में सोचना परिषद के लिए परेशानी भी बन चुका है। मौजूदा समय में भी नगर परिषद सोलन ने आईपीएच विभाग को करीब 25 करोड़ रुपये पानी बिल की एवज में देने हैं। आईपीएच अधिकारियों के अनुसार नगर परिषद समय पर बिल भुगतान नहीं कर रहा। बार-बार नोटिस भेजने पर भी बिल जमा नहीं करवाया जाता। यदि परिषद बिल समय पर दें तो इतना कर्जा नहीं होना था। जबकि नगर परिषद अधिकारियों को कहना है कि आईपीएच विभाग परिषद से करीब 6.20 रुपये अधिक वसूल रहा है। इससे शहर के विकास का पैसा विभाग को ही जा रहा है। इस लिए महंगी हो रही दरें
दरअसल, नगर परिषद सोलन को आईपीएच विभाग 17 रुपये 20 पैसे प्रति हजार लीटर की व्यवसायिक दर से पानी की सप्लाई कर रहा है। जबकि यही पानी उपभोक्ताओं को करीब 11 रुपये 20 पैसे प्रति हजार लीटर सप्लाई करके करीब छह रुपये का घाटा उठा रहा है। इस अतिरिक्त भार का कर्ज नगर परिषद पर चढ़ता जा रहा है।

यह होते हैं कार्य
सड़कों की मरम्मत, पार्कों का जीर्णोद्धार, सफाई व्यवस्था, नए रास्तों का निर्माण, पेयजल संबंधी समस्याएं जैसे पानी की लीकेज, पाइपें बदलना के अलावा स्ट्रीटलाइट, ओवर ब्रिजों का निर्माण, पार्किग आदी शामिल हैं।

समस्याएं हैं शहर में बरकरार
सोलन शहर के 13 वार्डों में करीब 85000 की आबादी है। हालांकि परिषद का दावा है कि शहर में सभी प्रकार की सुविधाएं लोगों को दी जा रही है। बावजूद इसके अधिकांश लोग समस्याओं को लेकर नगर परिषद से नाराज दिखते हैं। इसके अतिरिक्त शहर में घरेलू व व्यवसायिक उपभोक्ताओं को एक ही दर पर पानी मुहैया करवाया जा रहा है।

25 करोड़ रुपये दबाए : एसडीओ
आईपीएच विभाग के एसडीओ अशोक धीमान का कहना है कि नगर परिषद करीब 25 करोड़ रुपये की रकम दबाकर बैठा है। इसके लिए उन्हें नोटिस भेजे जाते हैं। पेयजल दरें कम करने का निर्णय सरकार और उच्च अधिकारियों का है। इसमें वह कुछ नहीं कर सकते।

दरें कम हो तो मिले राहत : ईओ
नगर परिषद के कार्यकारी अधिकारी बीआर नेगी ने बताया कि आईपीएच महंगी दरों पर पानी मुहैया करवा रहा है। इससे परिषद की अधिकांश कमाई बिल में ही जा रही है। उन्होंने कहा कि यदि बिल की दरें कम की जाए तो परिषद को कुछ राहत मिल सकेगी।

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