अभिभावकों का शोषण, स्कूलों का पोषण

धर्मशाला/जोगिंद्रनगर : स्कूल शिक्षा बोर्ड द्वारा जारी एक ही किताब को पढ़ाने के लिए निजी स्कूलों में बच्चों से अलग-अलग दाम वसूले जा रहे हैं। निजी स्कूल अपने रसूख व तामझाम के हिसाब से बच्चों के अभिभावकों को लूट रहे हैं लेकिन सरकार द्वारा किसी प्रकार की लगाम इन स्कूलों पर नहीं कसी जा रही है। निजी स्कूलों के लिए कोई फीस स्ट्रक्चर न होने के चलते मनमाने दामों पर बच्चों को शिक्षा उपलब्ध करवाई जा रही है। फीस को लेकर निजी स्कूल खुद भी एकमत नहीं हैं।

एक स्कूल में बच्चे से हर माह अगर 100 रुपए वसूले जा रहे हैं तो दूसरे स्कूल में उसी क्लास के बच्चे से 200 या फिर 300 रुपए वसूल जा रहे हैं। हालांकि प्राथमिक सरकारी स्कूलों में उसी किताब को नि:शुल्क पढ़ाया जाता है तथा बच्चों से मात्र अढ़ाई रुपए अन्य फंड के रूप में वसूले जाते हैं।

लूट पर अभिभावक चुप
कांगड़ा व मंडी जिला में मौजूदा समय में कई नामी स्कूलों में एक ही क्लास की अलग-अलग फीस वसूली जा रही है। जोगिंद्रनगर में ही एक स्कूल में जहां तीसरी से 5वीं कक्षा की फीस 240, दूसरे में 350, तीसरे 390 तथा चौथे स्कूल में उसी क्लास के 550 रुपए वसूल किए जा रहे हैं। मजेदार बात तो यह है कि निजी स्कूलों की इस लूट पर अभिभावक पूरी तरह खामोश बने हुए हैं तथा बच्चों के बेहतर भविष्य की चिंता में उन्हें इस लूट का आभास ही नहीं हो पा रहा है।

ट्रांसपोर्ट नया धंधा
निजी स्कूलों ने अब ट्रांसपोर्ट के नाम पर नया धंधा शुरू कर रखा है। बच्चों को स्कूलों तक पहुंचाने के भी मनमाने दाम वसूल किए जा रहे हैं। निजी स्कूलों ने पुराने वाहनों को खरीद कर उन्हें नई लुक देकर यह धंधा शुरू किया है तथा लाखों के बारे-न्यारे कर रहे हैं।

सरकार भी खामोश
हालांकि निजी स्कूलों की इस लूट से सरकार भी पूरी तरह से वाकिफ है फिर भी फीस स्ट्रक्चर एवं ड्रैस कोड जैसी लाजिमी मांगों पर वह विचार करने को राजी नहीं दिखती।

शिक्षा बना व्यवसाय
निजी स्कूलों ने शिक्षा का पूरी तरह से व्यवसायीकरण करके रख दिया है। कुछ स्कूलों ने तो स्कूलों के अंदर ही दुकानें खोल कर शिक्षा को बेचने का धंधा किया हुआ है तो कुछ स्कूल परिसर के आसपास अपने ही किसी सेल्जमैन को बिठा कर यह व्यापार करा रहे हैं। अधिकांश स्कूलों के पास शिक्षा बोर्ड द्वारा किताबें आदि बेचने के लाइसैंस भी नहीं हैं। हालांकि कानून की किताबों में यह धंधा पूर्ण रूप से अवैध है लेकिन स्कूल मालिकों के रुतबे के समक्ष यहां किसी की भी नहीं चलती है।

प्राइवेट स्कूलों की मनमानी रोकने के लिए शिक्षा विभाग कार्रवाई के लिए पूरी तरह से सक्षम है, फीस बढ़ौतरी हो या अन्य शिकायतें निदेशालय अपने स्तर पर भी शिकायतों पर कार्रवाई करता आया है। आगे भी इस तरह की शिकायतें आने पर निदेशालय कार्रवाई करेगा।
दिनकर बुराथोकी, उच्च शिक्षा निदेशक

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