खुले आसमान में पड़ा है बीस लाख मीट्रिक टन धान

रायपुर

राज्य में कस्टम मिलिंग की धीमी रफ्तार के चलते सहकारी समितियों व संग्रहण केंद्रों में धान जाम हो गया है। साथ ही रखरखाव की समुचित व्यवस्था न होने से खुले आसमान के नीचे करीब 20 लाख मीट्रिक टन धान रखा है।

ऐसे में मौसम बदलने और बारिश की संभावना के चलते धान को भीगने से बचाने की मुश्किल खड़ी हो गई है। मार्कफेड द्वारा कैप कवर की खरीदी किए जाने के बावजूद किसी केन्द्र में इसकी व्यवस्था नहीं है। कई स्थानों पर बारिश से धान भीगने की भी खबर है।

राज्य भर में समर्थन मूल्य पर करीब डेढ़ हजार सहकारी समितियों के माध्यम से धान की खरीदी हो रही है। मार्कफेड के अधिकारियों के अनुसार राज्य में 20 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी हो चुकी है। अभी तक कस्टम मिलिंग करीब छह लाख मीट्रिक टन धान ही राईस मिलरों को दिया गया है। संग्रहण केन्द्रों में 19 लाख मीट्रिक धान भेजा गया है। सहकारी समितियों में करीब 18 लाख मीट्रिक टन धान पड़ा हुआ है। रायपुर जिले में अब तक 5 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा धान की खरीदी हुई है। इनमें 123 उपार्जन केन्द्रों में 1 लाख 70 हजार मीट्रिक टन धान पड़ा हुआ है।

एफसीआई के साथ मिलरों का विवाद और गहरा जाने से उसका असर कस्टम मिलिंग पर हो रहा है। राज्य सरकार का इन दोनों पर ही नियंत्रण नहीं है। साथ ही राज्य में धान परिवहन की रफ्तार बहुत धीमी है। पिछले साल की अपेक्षा मिलिंग की रफ्तार बहुत कम है। अगर रफ्तार ऐसे ही रही तो इस वर्ष के धान की मिलिंग में डेढ़ वर्ष से अधिक का समय लग सकता है। इससे राज्य सरकार को आर्थिक नुकसान होने की संभावना है। राज्य सरकार ने इस वर्ष 70 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी का लक्ष्य रखा है।

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