सरकारी एंबुलेंस खटारा, प्राइवेट वालों की पौबारह

हरिद्वार। जिला अस्पताल की दो एंबुलेंसों की मियाद पूरी हो चुकी है। तीसरी वीआईपी मूवमेंट आदि में व्यस्त रहती है। ऐसे में मरीजों को ले जाने के लिए तीमारदार निजी एंबुलेंस के भरोसे हैं। लेकिन इनकी मनमानी सब पर भारी पड़ रही है।
जिला अस्पताल में तीन सरकारी एंबुलेंस हैं। इनमें से एक (यूपी 32 4638) 1992 का माडल है। दूसरी (यूके 07 डी 2052) का माडल 2000 का है। यह दोनों एंबुलेंस कंडम घोषित होने की शर्तें पूरी कर चुकी हैं। जिसके कारण इनका इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है। शेष तीसरी एंबुलेंस दूसरे कामों में लगी रहती हैं। जिसके कारण जिला अस्पताल से हायर सेंटर रेफर होने वाले मरीजों को सरकारी एंबुलेंस ही नहीं मिल पाती। ऐसे में निजी एंबुलेंस वाले मौज काट रहे हैं। तीमारदारों से मनमाने दाम वसूल रहे हैं।
इनसेट
क्या हैं मानक
एंबुलेंस के कंडम करने के दो मानक हैं। पहली शर्त यह है कि कोई एंबुलेंस 10 साल पूरे करने पर कंडम मानी जाती है। दूसरी शर्त यह है कि यह एक लाख किमी की दूसरी पार कर चुकी है। ऐसे में यह दोनों एंबुलेंस कंडम होने की श्रेणी में आ गई हैं।

दोनों पुरानी एंबुलेंस के मियाद पूरी करने के संबंध में निदेशालय से पत्राचार किया जा रहा है। इन्हें कंडम कराकर नई का प्रस्ताव तैयार किया जाएगा। फिलहाल दोनों एंबुलेंस को प्रयोग नहीं किया जा रहा है। तीसरी एंबुलेंस का प्रयोग किया जा रहा है।

Related posts