तीसरे मुकाबले में भी रोमनी पर भारी पड़े ओबामा

वाशिंगटन: राष्ट्रपति बराक ओबामा और रिपब्लिकन उम्मीदवार मिट रोमनी के बीच राष्ट्रपति पद के लिए सोमवार रात हुए तीसरे और अंतिम मुकाबले में अफगानिस्तान व पाकिस्तान से लेकर चीन, लीबिया, इजरायल, ईरान और मध्य पूर्व पर जोरदार बहस हुई। इस बहस में भी ओबामा को विजयी घोषित किया गया, लेकिन दोनों उम्मीदवारों के बीच लड़ाई अब भी कांटे की बनी हुई है।

मतदान से ठीक 15 दिन पहले हुए इस मुकाबले में ओबामा ने यह कहते हुए रोमनी पर हमला किया कि उनके प्रतिद्वंद्वी 1980 के दशक की विदेश नीतियां, 1950 के दशक की सामाजिक नीतियां और 1920 के दशक की आर्थिक नीतियां लाना चाहते हैं।

सोमवार रात फ्लोरिडा के बोका रैटन में लिन युनिवर्सिटी में विदेश नीति पर हुई बहस के बाद किए गए एक तात्कालिक सर्वेक्षण में ओबामा को 40 प्रतिशत के मुकाबले 48 प्रतिशत से विजयी घोषित किया गया है।

लेकिन यह अभी देखना बाकी है कि तीसरी बहस की जीत व्हाइट हाउस की दौड़ में ओबामा के लिए कितनी कारगर साबित हो पाती है, क्योंकि सबसे हालिया सर्वेक्षण के अनुसार ओबामा ओहियो जैसे महत्वपूर्ण चुनावी राज्यों में बहुत मामूली अंतर से आगे हैं।

हालिया सर्वेक्षण ने वाशिंगटन पोस्ट-एबीसी न्यूज के नए सर्वेक्षण के रुख की पुष्टि की है, जिसमें कहा गया है कि राष्ट्रीय स्तर पर सम्भावित मतदाताओं में अभी भी अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है, क्योंकि ओबामा को जहां 49 प्रतिशत मतदाताओं का समर्थन है, तो रोमनी को 48 प्रतिशत मतदाता समर्थन कर रहे हैं।

सोमवार की बहस के दौरान रोमनी, हालांकि ओबामा प्रशासन के अधिकांश कदमों का समर्थन करते नजर आए। जैसे कि अफगानिस्तान से वापसी, सीरिया में गृह युद्ध, और ईरान को परमाणु हथियार हासिल करने से रोकने जैसे कदमों का।

रोमनी ने ओसामा बिन लादेन और अलकायदा के अन्य सरगनाओं को मौत के घाट उतारने के ओबामा के प्रयासों की प्रशंसा की, लेकिन उन्होंने कहा कि हम अपने रास्ते के इस रोड़े को खत्म नहीं कर सकते। रोमनी ने इसके बदले मध्य पूर्व में हिंसक चरमवाद पर लगाम लगाने के लिए एक व्यापक रणनीति पर जोर दिया।

रोमनी ने कहा, ‘‘मुख्य बात यह है कि मुस्लिम जगत खुद से चरमवाद को खारिज कर दे।’’ इसके साथ ही रोमनी ने आर्थिक विकास, बेहतर शिक्षा, लिंग समानता को बढ़ावा देने वाली अमेरिकी नीतियों और संस्थानों के सृजन का प्रस्ताव किया।

रोमनी ने इस बात पर भी सहमति जताई कि अफगानिस्तान में संघर्ष सफल रहा है और अमेरिका 2014 तक अफगान बलों को जिम्मेदारी सौंपने के रास्ते पर है। लेकिन उन्होंने आगाह भी किया कि पाकिस्तान में जो कुछ घट रहा है उसका अफगानिस्तान की सफलता पर एक बड़ा असर होने वाला है।

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