सात महाद्वीपों की शीर्ष चोटियों को फतह करने वाली पहली भारतीय बनीं प्रेमलता

नई दिल्ली : महिला साहस की अद्वितीय मिसाल बन चुकीं झारखंड के जमशेदपुर की महिला पर्वतारोही प्रेमलता अग्रवाल ने दुनिया के सात महाद्वीपों के सर्वोच्च शिखर पर तिरंगा लहराने का अनूठा कारनामा कर दिखाया है और यह उपलब्धि हासिल करने वाली वह पहली भारतीय महिला बन गई है।

50 वर्षीय और दो बेटियों की मां प्रेमलता ने गत 23 मयी को उत्तरी अमेरिका के अलास्का स्थित सर्वोच्च शिखर माउंट मैककिनले(6194मी) को फतह किया और इसके साथ ही उन्होंने सात महाद्वीपों की सबसे ऊंची चोटियों पर पहुंचने का अद्भुत रिकार्ड बना दिया। प्रेमलता का स्वदेश वापसी पर शुक्रवार को राजधानी में भव्य स्वागत किया गया और इस दौरान उन्होंने अपने रोमांचक सफर के अनुभव मीडिया के साथ साझा किए।

इस अवसर प्रेमलता के पति विमल अग्रवाल और जमशेदपुर से सांसद डा. अजय कुमार भी मौजूद थे। डा. कुमार ने कहा कि प्रेमलता की कामयाबी झारखंड के लिए ही नहीं बल्कि पूरे देश और देश की महिलाओं के लिए गर्व की बात है। महिला साहस की प्रतिमूर्ति नजर आ रही प्रेमलता ने कहा मैं एक हाऊसवाइफ थी और अब भी हूं। लोगों का यह मानना है कि 40 वर्ष के बाद भारतीय महिलाएं कुछ नहीं कर सकती हैं लेकिन मैं लोगों की इसी सोच को बदलना चाहती थी। मुझे खुशी है कि मैंने वह कारनामा किया है जिससे लोग अपनी यह संकीर्ण सोच बदलने पर मजबूर हो जाएंगे।
प्रेमलता का सात महाद्वीपों की शीर्ष चोटियों को फतह करने का रोमांचक सफर छह जून 2008 को अफ्रीका में किलिमंजारो (5895 मीटर) पर जीत हासिल करने के साथ शुरू हुआ था। प्रेमलता ने फिर 20 मई 2011 को एशिया और दुनिया के सर्वोच्च शिखर माउंट एवरेस्ट (8848 मी.) को फतह किया। पद्मश्री से सम्मानित जमशेदपुर की प्रेमलता ने 10 फरवरी 2012 को दक्षिण अमेरिका के एकोनकागुआ (6962 मी.), 12 अगस्त 2012 को यूरोप के एल्ब्रास (5642 मी.), 22 अक्टूबर 2012 को आस्ट्रेलिया ओसनिवा के कार्सटेंस पिरामिड (4884 मी.), 5 जनवरी 2013 को आंर्टकटिका के विनसन मैसिफ (4892 मी) और 23 मई 2013 को उत्तरी अमेरिका के माउंट मैककिनले (6194 मी) को फतह किया।

प्रेमलता ने कहा, ‘मेरी यह सफलता अकेले की नहीं है। मेरे परिवार के सदस्यों, मेरे ससुरावलवालों, पति विमल अग्रवाल और दोनों बेटियों, मेरी आदर्श बछेन्द्री पाल, टाटा स्टील और मेरे पिछले अभियान के प्रायोजक नन्दलाल यंगटा ने मुझे अभूतपूर्व सहयोग दिया जिसके कारण में इस मुकाम तक पहुंच सकीं।’

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