भुगतान असंतुलन का दुश्चक्र

वैश्विक मंदी के भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ते असर को अब साफ-साफ महसूस किया जा सकता है। आर्थिक विकास दर तो पहले से ही कम होती जा रही है, रिजर्व बैंक की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक चालू खाते का घाटा पहली बार पांच फीसदी के पार चला गया है! जीडीपी के ढाई से तीन प्रतिशत तक यह घाटा सहन करने लायक है, पर साल की दूसरी तिमाही में यह बढ़कर 5.4 फीसदी हो गया, जबकि पिछले साल की इसी तिमाही में यह 4.2 प्रतिशत था। जाहिर है, वस्तुओं और सेवाओं के…

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रोशनी की तलाश में

वीरेन्द्र खागटा आप उसे दामिनी कहें, अमानत, निर्भया, वेदना या ज्योति, उसकी अनुपस्थिति हमारे समय की क्रूरतम घटना है। 16 दिसंबर की उस काली रात उसके साथ जो कुछ हुआ, वह कितना भयावह और बर्बर था, इसका अंदाजा उसका इलाज करने वाले डॉक्टरों के बयानों और उसकी मेडिकल रिपोर्ट के ब्योरों से होता है। लोग अब भी सदमे में हैं, और सरकार से दो टूक इंसाफ चाहते हैं। इसलिए इस घटना को सिर्फ इंडिया गेट और जंतर मंतर में जल रही मोमबत्तियों की रोशनी तक सीमित करके नहीं देखना चाहिए।…

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आधी-अधूरी तैयारी का नतीजा

जरूरतमंदों को सब्सिडी के बजाय नकदी देने की सरकार की जो महत्वाकांक्षी योजना अब अमल में आई है, वह न सिर्फ शुरुआती प्रचार-प्रसार से बहुत भिन्न है, बल्कि यह एक और उदाहरण है कि राजनीतिक लाभ के लिए बड़ी-बड़ी बातें करने वाले लोग या तो यथार्थ से अपरिचित हैं या अनजान बने रहते हैं। यूपीए सरकार ने जब कैश सब्सिडी योजना की, विपक्षी हमले के बाद जिसका नाम बदलकर अब प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण कर दिया गया है, घोषणा की थी, तभी साफ हो गया था कि चुनावी लाभ के लिए…

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नजीर बन जाए सजा : वीरेन्द्र खागटा

आज जब भारत में सामाजिक, आर्थिक और तकनीक के अलावा विकास के तमाम आयामों की बात हो रही है, देश की नाक के ठीक नीचे हुई बलात्कार की एक दुस्साहसिक घटना पूरे तंत्र की जर्जरता की ओर इशारा करती है। यह हमारे राजनीतिक, सामाजिक, न्यायिक और नैतिक तंत्र का खोखलापन ही है कि किसी को किसी की परवाह नहीं है। नेताओं को लोगों की परवाह नहीं है और लोगों में कानून का कोई डर नहीं है। हैरत इस बात पर है कि यह घटना राष्ट्रीय राजधानी में हुई  है, जहां…

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नेतृत्व पर उठते सवाल : वीरेन्द्र खागटा

शीत सत्र से पहले यशवंत सिन्हा ने अपनी ही पार्टी के अध्यक्ष को इस्तीफा देने के लिए कहकर न सिर्फ इस मुद्दे को जीवंत कर दिया है, बल्कि इससे भाजपा का संकट और गहरा गया लगता है। किसी राजनीतिक पार्टी का कोई राष्ट्रीय अध्यक्ष शायद ही कभी अपनी पार्टी पर वैसा बोझ बना होगा, जैसा आज नितिन गडकरी भाजपा के लिए बन गए हैं। कोई दूसरी पार्टी होती, तो अपने अध्यक्ष से खुद को कब का अलग कर लेती। खुद भाजपा ने भी बंगारू लक्ष्मण के मामले में ऐसा ही…

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राजनीतिक स्टंट है आरक्षण

एफडीआई के खिलाफ वोटिंग करने के अलावा लॉबिंग का मुद्दा उठाकर भाजपा ने संसद में मजबूत विपक्ष होने का परिचय दिया है। लेकिन नितिन गडकरी से जुड़े विवाद और येदियुरप्पा के बाहर होने जैसे कई मुद्दों ने उसकी छवि पर असर भी डाला है। इन तमाम मसलों पर भाजपा के पूर्व अध्यक्ष राजनाथ सिंह से की गई बातचीत (वीरेन्द्र खागटा) इंडियन बुलेटिन ….”.सवाल से जबाब तक ” सवाल – इसी महीने भाजपा का नया अध्यक्ष चुना जाना है। नितिन गडकरी पर आरोप लग जाने के बाद उनकी दोबारा ताजपोशी पर…

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यह लॉबिंग है या दलाली!

(वीरेन्द्र खागटा )कारोबार का अपना कायदा होता है और इसमें साख का बड़ा महत्व होता है। साख से ही कारोबारी और ग्राहक के रिश्ते बनते हैं। मगर लगता है कि भारत के इस पारंपरिक तौर-तरीके से वालमार्ट जैसी दिग्गज अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कंपनी वाकिफ नहीं है। 500 अरब डॉलर से अधिक के भारतीय खुदरा बाजार पर नजर गड़ाने वाली वालमार्ट ने अपने पक्ष में गोलबंदी करने के लिए सवा सौ करोड़ रुपये फूंक दिए। अमेरिकी सीनेट को दी गई अपनी रिपोर्ट में उसने जो ब्योरे दिए हैं, उसके मुताबिक वह पिछले…

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कर चोरी का जिम्मेदार कौन

अपनी वास्तविक आय छिपाकर कम कर दे रही ‘बड़ी मछलियों’ को सख्त चेतावनी देकर वित्त मंत्रालय ने बिलकुल ठीक किया है। वर्षों पहले संयुक्त मोर्चा सरकार में वित्त मंत्री की भूमिका निभाते हुए इन्हीं पी चिदंबरम ने अर्थव्यवस्था से काला धन निकालने के लिए एक योजना शुरू की थी, जिसका सुखद नतीजा दिखाई पड़ा था। इसलिए उनकी प्रतिबद्धता पर संदेह नहीं है। जिस देश में मध्यवर्ग की आबादी निरंतर बढ़ रही है, जहां उपभोक्ता वस्तुओं की मांग और बिक्री लगातार बढ़ रही है, वहां 10 लाख या उससे अधिक की…

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